बीएचयू के इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल सायेंस(आईएमएस) की ओर से
केंद्र सरकार को भेजी गई एक रिपोर्ट चौकाने वाली है। इस रिपोर्ट में सिरदर्द, थकान व अनिद्रा
भगाने के नाम पर बाजार में धड़ल्ले से बिक रहे ठंडे तेल को घातक बताया गया है।
आयुर्वेदिक दवाओं के नाम पर तेल में कपूर के बेतहाशा प्रयोग से आंखों की रोशनी कम
होने के साथ ही ब्रेन में सूजन और उससे तमाम तरह की बिमारियां सामने आ रही हैं।
इतना ही नहीं यह हेरोइन और शराब की तरह लोगों, खासकर महिलाओं को
अडिक्टेड बना रहा है।
आईएमएस के न्यूरॉलजी विभाग के प्रफेसर विजय नाथ मिश्र व उनकी टीम कपूर मिश्रित 'ठंडे' तेल का प्रयोग करने वालों पर इसके प्रभाव का पता लगाने में जुटी है। सर सुंदरलाल हॉस्पिटल की न्यूरॉलजी ओपीडी में आने वाले पूर्वांचल और बिहार के उन 500 पेशेंट के केस की स्टडी की गई जो ठंडे तेल का प्रयोग करते रहे हैं। करीब दो साल तक चले ऑब्जर्वेशन की रिपोर्ट अब सामने आई है। नतीजों के आधार पर कूल-कूल का अहसास कराने वाले तेल के जरिए फैल रही बीमारियों को 'महामारी' बताया गया है। प्रफेसर मिश्र ने बताया कि ऑब्जर्वेशन रिपोर्ट केंद्र के डिपार्टमेंट ऑफ सायेंस ऐंड टेक्नॉलजी (डीएसटी) को भेजकर डिटेल रिसर्च और कपूर के प्रयोग की मात्रा निर्धारित करने की जरूरत बताई गई है।
प्रफेसर विजय नाथ मिश्र के मुताबिक स्टडी से यह बात साफ हो गई है कि ठंडे तेल के लगातार प्रयोग से ब्रेन की नसें कमजोर या फिर शिथिल हो जा रही हैं। ब्रेन पर सीधे असर पड़ने से हाइपर टेंशन, आंखों की रोशनी कम होना और आगे चलकर स्ट्रोक का खतरा बढ़ रहा है। यह स्थिति मौत का कारण बन सकती है। सलाह के बाद जिन मरीजों ने ठंडा तेल लगाना बंद कर दिया उन्हें दवा बगैर ही धीरे-धीरे आराम होने लगा है।
आईएमएस के न्यूरॉलजी विभाग के प्रफेसर विजय नाथ मिश्र व उनकी टीम कपूर मिश्रित 'ठंडे' तेल का प्रयोग करने वालों पर इसके प्रभाव का पता लगाने में जुटी है। सर सुंदरलाल हॉस्पिटल की न्यूरॉलजी ओपीडी में आने वाले पूर्वांचल और बिहार के उन 500 पेशेंट के केस की स्टडी की गई जो ठंडे तेल का प्रयोग करते रहे हैं। करीब दो साल तक चले ऑब्जर्वेशन की रिपोर्ट अब सामने आई है। नतीजों के आधार पर कूल-कूल का अहसास कराने वाले तेल के जरिए फैल रही बीमारियों को 'महामारी' बताया गया है। प्रफेसर मिश्र ने बताया कि ऑब्जर्वेशन रिपोर्ट केंद्र के डिपार्टमेंट ऑफ सायेंस ऐंड टेक्नॉलजी (डीएसटी) को भेजकर डिटेल रिसर्च और कपूर के प्रयोग की मात्रा निर्धारित करने की जरूरत बताई गई है।
प्रफेसर विजय नाथ मिश्र के मुताबिक स्टडी से यह बात साफ हो गई है कि ठंडे तेल के लगातार प्रयोग से ब्रेन की नसें कमजोर या फिर शिथिल हो जा रही हैं। ब्रेन पर सीधे असर पड़ने से हाइपर टेंशन, आंखों की रोशनी कम होना और आगे चलकर स्ट्रोक का खतरा बढ़ रहा है। यह स्थिति मौत का कारण बन सकती है। सलाह के बाद जिन मरीजों ने ठंडा तेल लगाना बंद कर दिया उन्हें दवा बगैर ही धीरे-धीरे आराम होने लगा है।
साभार NBT