अगर आए दिन आप माइग्रेन के दर्द से परेशान रहते हैं और दवा लेने के बावजूद आपको राहत महसूस नहीं हो रही है तो ये 4 योगासन आपकी मदद कर सकते हैं। माइग्रेन भी एक तरह का सिरदर्द है, जिसमें पीड़ित व्यक्ति को रह-रहकर सिरदर्द के बहुत तेज अटैक पड़ते हैं। गौर करने वाली बात यह है कि ये आम सिर दर्द की तरह पूरे सिर में नहीं होता माइग्रेन का दर्द व्यक्ति के आधे सिर में होता है और यह दर्द आता-जाता रहता है। व्यक्ति को यह दर्द 4 से 72 घंटे तक रह सकता है। माइग्रेन को लेकर किए गए एक शोध में पता चला है कि लगभग चार में से एक महिलाएं और 12 में से एक पुरुष माइग्रेन की समस्या से जूझते हैं। आखिर कैसे आप इन 4 योगासन की मदद से माइग्रेन से जुड़ी दिक्कतों से आसानी से निजात पा सकती हैं।
माइग्रेन के लक्षण-
-माइग्रेन होने पर जी मचलने लगता है, शरीर असहज महसूस करने लगता है।
-सिर में भारी पन होने लगता है ।
-सिर के पीछे की भाग जो गर्दन से सटा होता है उसमे दर्द महसूस करना।
-तेज रोशनी से आंख में जोर पड़ना ।
-ज्यादा आवाज या शोर होने पर चिड़चिड़ापन महसूस करना।
-हर वक्त तनाव में रहना।
-माइग्रेन से होने वाला दर्द ज्यादातर शाम को होता है।
-माइग्रेन के कारण आंखों में भी तकलीफ रहती है।
-माइग्रेन होने पर जी मचलने लगता है, शरीर असहज महसूस करने लगता है।
-सिर में भारी पन होने लगता है ।
-सिर के पीछे की भाग जो गर्दन से सटा होता है उसमे दर्द महसूस करना।
-तेज रोशनी से आंख में जोर पड़ना ।
-ज्यादा आवाज या शोर होने पर चिड़चिड़ापन महसूस करना।
-हर वक्त तनाव में रहना।
-माइग्रेन से होने वाला दर्द ज्यादातर शाम को होता है।
-माइग्रेन के कारण आंखों में भी तकलीफ रहती है।
1-प्राणायाम-
प्राणायाम करने के लिए सबसे पहले आरामदायक मुद्रा में बैठें। अब गहरी श्वास लेते और छोड़ते जाएं। नाक से सांस लेते समय छाती और फिर अपना पेट फुला लें जबकि सांस छोड़ते समय अपने पेट और फिर अपनी छाती को अनुबंधित करें। इस योग अभ्यास को 10 बार दोहराएं। सांस लेते और छोड़ते समय अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित रखें।
2-अनुलोम विलोम प्राणायाम-
1. सबसे पहले आरामदायक मुद्रा में बैठें।
2. इसके बाद दाएं अंगूठे से अपनी दाहिनी नासिका पकड़ें और बाई नासिका से सांस अंदर लें लीजिए।
3. अब अनामिका अंगुली से बाई नासिका को बंद कर दें।
4. इसके बाद दाहिनी नासिका खोलें और सांस बाहर छोड़ दें।
5. अब दाहिने नासिका से ही सांस अंदर लें और उसी प्रक्रिया को दोहराते हुए बाई नासिका से सांस बाहर छोड दें।
नोट- दूसरी बार में आप जिस नासिका से सांस छोड़ रहे हैं उसी से दोबारा सांस को अंदर लेकर दूसरी नासिका से छोड़ना है।
2. इसके बाद दाएं अंगूठे से अपनी दाहिनी नासिका पकड़ें और बाई नासिका से सांस अंदर लें लीजिए।
3. अब अनामिका अंगुली से बाई नासिका को बंद कर दें।
4. इसके बाद दाहिनी नासिका खोलें और सांस बाहर छोड़ दें।
5. अब दाहिने नासिका से ही सांस अंदर लें और उसी प्रक्रिया को दोहराते हुए बाई नासिका से सांस बाहर छोड दें।
नोट- दूसरी बार में आप जिस नासिका से सांस छोड़ रहे हैं उसी से दोबारा सांस को अंदर लेकर दूसरी नासिका से छोड़ना है।
3-भ्रामरी प्राणायाम या हमिंग बी ब्रीदिंग-
– एक समतल पर शांत, प्राणायाम की मुद्रा में बैठ जाएं। आंखों को बंद कर लें।
– दोनों हाथों की अनामिका उंगली से अपने कान बंद कर लें।
– एक लंबी गहरी सांस लें। इसके बाद बिना मुंह खोले भ्रमर की आवाज़ निकालें। धीरे-धीरे सांस बाहर छोड़ें।
– इसी प्रक्रिया को 6-7 बार दोहराएं। इसके बाद अंगूठे की मदद से कान बंद करें और चारों उंगलियों को चेहरे पर रखें।
– एक समतल पर शांत, प्राणायाम की मुद्रा में बैठ जाएं। आंखों को बंद कर लें।
– दोनों हाथों की अनामिका उंगली से अपने कान बंद कर लें।
– एक लंबी गहरी सांस लें। इसके बाद बिना मुंह खोले भ्रमर की आवाज़ निकालें। धीरे-धीरे सांस बाहर छोड़ें।
– इसी प्रक्रिया को 6-7 बार दोहराएं। इसके बाद अंगूठे की मदद से कान बंद करें और चारों उंगलियों को चेहरे पर रखें।
4- योग निद्रा-
-सबसे पहले ढीले कपड़े पहनकर कंबल पर शवासन की स्थिति में लेट जाएं। जमीन पर दोनों पैर लगभग एक फुट की दूरी पर हों। हथेली कमर से छह इंच दूरी पर हो और आंखे बंद रखें।
-इसके बाद सिर से पांव तक पूरे शरीर को पूर्णत: शिथिल कर दीजिए और मन-मस्तिष्क से तनाव हटाकर निश्चिंतता से लेटे रहें। इस दौरान पूरी सांस लेना व छोड़ना जारी रखें।
-अब कल्पना करें कि आप के हाथ, पांव, पेट, गर्दन, आंखें सब शिथिल हो गए हैं। तब फिर स्वयं से मन ही मन कहें कि मैं योग निद्रा का अभ्यास करने जा रहा हूं। ऐसा तीन बार दोहराएं और गहरी सांस छोड़ना तथा लेना जारी रखें।
-अब अपने मन को शरीर के विभिन्न अंगों पर ले जाइए और उन्हें शिथिल व तनाव रहित होने का निर्देश दें। पूरे शरीर को शांतिमय स्थिति में रखें। महसूस करें की संपूर्ण शरीर से दर्द बाहर निकल रहा है और मैं आनंदित महसूस कर रहा हूं। गहरी सांस ले।
-फिर अपने मन को दाहिने पैर के अंगूठे पर ले जाइए। पांव की सभी अंगुलियां कम से कम पांव का तलवा, एड़ी, पिंडली, घुटना, जांघ, नितंब, कमर, कंधा शिथिल होता जा रहा है।
-इसी तरह बायां पैर भी शिथिल करें। सहज सांस लें व छोड़ें। अब लेटे-लेटे पांच बार पूरी सांस लें व छोड़ें। इसमें पेट व छाती चलेगी। पेट ऊपर-नीचे होगा।
-सबसे पहले ढीले कपड़े पहनकर कंबल पर शवासन की स्थिति में लेट जाएं। जमीन पर दोनों पैर लगभग एक फुट की दूरी पर हों। हथेली कमर से छह इंच दूरी पर हो और आंखे बंद रखें।
-इसके बाद सिर से पांव तक पूरे शरीर को पूर्णत: शिथिल कर दीजिए और मन-मस्तिष्क से तनाव हटाकर निश्चिंतता से लेटे रहें। इस दौरान पूरी सांस लेना व छोड़ना जारी रखें।
-अब कल्पना करें कि आप के हाथ, पांव, पेट, गर्दन, आंखें सब शिथिल हो गए हैं। तब फिर स्वयं से मन ही मन कहें कि मैं योग निद्रा का अभ्यास करने जा रहा हूं। ऐसा तीन बार दोहराएं और गहरी सांस छोड़ना तथा लेना जारी रखें।
-अब अपने मन को शरीर के विभिन्न अंगों पर ले जाइए और उन्हें शिथिल व तनाव रहित होने का निर्देश दें। पूरे शरीर को शांतिमय स्थिति में रखें। महसूस करें की संपूर्ण शरीर से दर्द बाहर निकल रहा है और मैं आनंदित महसूस कर रहा हूं। गहरी सांस ले।
-फिर अपने मन को दाहिने पैर के अंगूठे पर ले जाइए। पांव की सभी अंगुलियां कम से कम पांव का तलवा, एड़ी, पिंडली, घुटना, जांघ, नितंब, कमर, कंधा शिथिल होता जा रहा है।
-इसी तरह बायां पैर भी शिथिल करें। सहज सांस लें व छोड़ें। अब लेटे-लेटे पांच बार पूरी सांस लें व छोड़ें। इसमें पेट व छाती चलेगी। पेट ऊपर-नीचे होगा।
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